आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रहश्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह
(छ)
छाने लगी पूर्व में लाली, नवयुग आने वाला है।
नवयुग आने वाला है कि सतयुग आने वाला है।।
छिमा बड़ेन का चाहिए, छोटन को उतपात।
का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात॥
छोटेन सों सोहे बड़े, कहि रहीम यह रेख।
सहसन को हय बाँधियत, ले दमरीकी भेख॥
छोड़कर रूढ़ि अंध विश्वास।
करें हम अपना पूर्ण विकास॥
छोड़ो न तुम धरम को चाहे, जान तन से निकले।
सच्चा सकुन हो लेकिन, शीरी दहन से निकले॥
छोटी मति युवतीन की, कहैं विवेक भुलाय।
दशरथ रानी के वचन, बन पठये रघुराय॥
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